
जॉइंट क्लींज क्या है?
जोड़ (Joints) शरीर की हड्डियों को आपस में जोड़ने और मूवमेंट की सुविधा प्रदान करने वाले संरचनात्मक भाग हैं। लेकिन खान-पान, लाइफस्टाइल और शरीर में बढ़ते टॉक्सिन्स के कारण इनमें कठोरता, सूजन और दर्द की समस्या उत्पन्न होती है।
जोड़ (Joints) शरीर की हड्डियों को आपस में जोड़ने और मूवमेंट की सुविधा प्रदान करने वाले संरचनात्मक भाग हैं। लेकिन खान-पान, लाइफस्टाइल और शरीर में बढ़ते टॉक्सिन्स के कारण इनमें कठोरता, सूजन और दर्द की समस्या उत्पन्न होती है।
हमारे शरीर में यूरिक एसिड और अन्य एसिडिक टॉक्सिन्स जमा होते रहते हैं, जो जोड़ों में दर्द, सूजन और कठोरता का कारण बनते हैं। जॉइंट क्लींजिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो शरीर से इन हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है। इससे जोड़ों की लचीलापन और गतिशीलता में सुधार होता है, जिससे चलने-फिरने में आसानी होती है और दर्द कम होता है। यह प्राकृतिक और प्रभावी समाधान है जो आर्थराइटिस और अन्य जोड़ संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
आवश्यक सामग्री
एपल साइडर विनेगर: एक लिटर की दो बॉटल्स
शहद : लगभग 500 मिली
ब्लैक मोलैसिस : एक किलोग्राम
एप्सम सॉल्ट: आवश्यकतानुसार
1. एपल साइडर विनेगर (Apple Cider Vinegar) और शहद का सेवन करें – 100ml गुनगुने पानी में 15ml ACV और 1 चम्मच (लगभग 5ml) शहद मिलाकर दिन में 3 बार पिएं।
2. ब्लैक मोलैसिस का सेवन करें – दिन में तीन बार 1 चम्मच (लगभग 5ml) लें।
3. एप्सम सॉल्ट बाथ लें – हफ्ते में 3 बार गुनगुने पानी में एप्सम सॉल्ट मिलाकर स्नान करें।
4. अल्कलाइन डाइट अपनाएं: हरी सब्जियां, फल, मिनरल्स और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाएं। यूरिक एसिड बढ़ाने वाले तले-भुने और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
5. हल्की एक्सरसाइज़ और योग करें – जोड़ों की फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखने के लिए हल्के व्यायाम करें।
6. हरी सब्जियों का जूस: दिन में 3 बार 200ml हरी सब्जियों का जूस पिएं। पालक, पार्सली, गाजर और चुकंदर का रस लाभदायक है।
7. हाइड्रेशन बनाए रखें – दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
8. समयावधि: इस प्रक्रिया को 6 सप्ताह तक नियमित रूप से अपनाएं।
1. गर्भवती महिलाएं
2. गंभीर हृदय रोगी
3. किडनी फेलियर के मरीज
4. अत्यधिक हाई या लो ब्लड प्रेशर वाले लोग
5. हाल ही में ऑपरेशन से गुजरे हुए व्यक्ति
हाँ, यह यूरिक एसिड और अन्य टॉक्सिन्स को निकालने में मदद करता है, जिससे स्पॉन्डिलाइटिस और गाउट जैसी समस्याओं में राहत मिल सकती है।
हर 5 साल में एक बार जॉइंट क्लींज करना फायदेमंद होता है। गंभीर मामलों में इसे डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लेकर किया जा सकता है।
अगर इसे सही तरीके से किया जाए तो कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। हालांकि, शुरुआत में हल्का दर्द बढ़ सकता है क्योंकि यूरिक एसिड टूटकर शरीर से बाहर निकलने लगता है।
हाँ, जॉइंट क्लींजिंग के दौरान अल्कलाइन डाइट अपनाना जरूरी है। तली-भुनी चीजें, ज्यादा नमक और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
आमतौर पर यह सुरक्षित है, लेकिन यदि आप किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो पहले विशेषज्ञ से परामर्श लें।
बच्चों और बहुत अधिक बुजुर्गों के लिए इसे डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।
जॉइंट क्लींजिंग शरीर से टॉक्सिन्स को निकालकर जोड़ों की समस्या से राहत दिलाने का एक प्राकृतिक तरीका है। अगर आप नियमित रूप से सही खान-पान और एक्सरसाइज के साथ इस प्रक्रिया को अपनाते हैं, तो आपके जोड़ों का स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।
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