पित्ताशय और गुर्दे की पथरी का समाधान

पित्ताशय और गुर्दे की पथरी (gallstones और kidney stones) दोनों ही दर्दनाक स्थितियाँ हैं, जो आमतौर पर शरीर में जमा पदार्थों के क्रिस्टल से बनती हैं। इनका इलाज व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है। नीचे कुछ सामान्य उपचार दिए गए हैं :

पित्ताशय की पथरी (Gallstones)

पित्ताशय में पथरी तब बनती है जब पित्त (bile) में कुछ पदार्थ जमा हो जाते हैं, जैसे कोलेस्ट्रॉल या बिलिरुबिन।

उपचार

गुर्दे की पथरी (Kidney Stones)

गुर्दे में पथरी तब बनती है जब मूत्र में खनिज (जैसे कैल्शियम, ऑक्सेलेट) इकट्ठा हो जाते हैं और क्रिस्टल बना लेते हैं।

उपचार

आहार में बदलाव

सामान्य सुझाव

Frequently Asked Questions

गॉल ब्लैडर और किडनी स्टोन से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर नीचे प्रस्तुत हैं:

गॉल ब्लैडर स्टोन क्या हैं?

गॉल ब्लैडर स्टोन, जिन्हें पित्ताशय की पथरी भी कहा जाता है, पित्ताशय में बनने वाले कठोर कण होते हैं। ये कोलेस्ट्रॉल, बिलिरुबिन, और अन्य पदार्थों के जमाव से बनते हैं।

किडनी स्टोन क्या हैं?

किडनी स्टोन, या गुर्दे की पथरी, कठोर खनिज और लवण के जमाव होते हैं जो गुर्दे के अंदर बनते हैं। ये विभिन्न आकार और प्रकार के हो सकते हैं।

गॉल ब्लैडर और किडनी स्टोन के लक्षण क्या हैं?

गॉल ब्लैडर स्टोन के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • ऊपरी दाएं पेट में अचानक और तीव्र दर्द।

  • मतली या उल्टी।

  • पेट में सूजन।

किडनी स्टोन के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • पीठ या पेट के निचले हिस्से में तीव्र दर्द।

  • पेशाब में खून आना।

  • पेशाब करते समय जलन या दर्द।

हार्ट अटैक के जोखिम कारक क्या हैं?

मुख्य जोखिम कारक निम्नलिखित हैं:

  • उच्च रक्तचाप।

  • उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर।

  • धूम्रपान।

  • मधुमेह।

  • मोटापा।

  • शारीरिक निष्क्रियता।

  • परिवार में हृदय रोग का इतिहास।

इन कारकों को नियंत्रित करके हार्ट अटैक के जोखिम को कम किया जा सकता है।

हार्ट अटैक का उपचार कैसे किया जाता है?

उपचार में शामिल हैं:

  • रक्त को पतला करने वाली दवाएं।

  • थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी (थक्का घोलने वाली दवाएं)।

  • प्राथमिक एंजियोप्लास्टी या स्टेंटिंग।

उपचार का उद्देश्य हृदय की मांसपेशियों को होने वाले नुकसान को कम करना है।

हार्ट अटैक से बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय सहायक हो सकते हैं:

  • स्वस्थ आहार का पालन करें।

  • नियमित शारीरिक गतिविधि करें।

  • धूम्रपान और शराब का सेवन न करें।

  • तनाव को प्रबंधित करें।

  • नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं।

इन उपायों से हार्ट अटैक के जोखिम को कम किया जा सकता है।

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